राधा कुण्ड

राधा कुण्ड और इसका महत्व


मथुरा से 26 किलोमीटर दूर राधाकुंड का अलग ही धार्मिक महत्व है।

प्राचीन मान्यताओं और ग्रंथों के अनुसार श्रीकृष्ण गोवर्धन में गाय चराने जाते थे अपने सखाओं के साथ ।

उनका सामना कंस के द्वारा उनका वध करने भेजे हुए कई राक्षसों से हुआ जिन्हें उन्होंने खत्म किया ।

इसी क्रम में अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप रख कर श्रीकृष्ण पर हमला किया। इस पर श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया।

तब राधारानी ने श्रीकृष्ण को कहा कि उन्होंने गौवंश के रूप में वध किया इसलिए उन्हें गौवंश हत्या का पाप लगा है।

इस पाप से मुक्ति के लिए श्रीकृष्ण ने एक कुंड बनाया और सभी नदियों से आग्रह कर उनके पवित्र जल से कुंड को भर उसमें स्नान किया जो श्याम कुंड के नाम से प्रसिद्ध है ।

इस पर राधा जी ने श्याम कुंड के बगल में अपने कंगन से एक और कुंड खोदा और उसमें स्नान किया जिसका नाम राधा कुंड पड़ा । कंगन से कुंड बनाने की वजह से इसे कंगन कुंड भी कहा जाता है ।

अहोई अष्टमी पर पुत्र प्राप्ति स्नान :


मान्यता है कि राधा कुंड में कृष्ण भगवान और राधा जी ने सखियों सहित महा रास रचाया था इसी दौरान राधा जी से कृष्ण ने वरदान मांगने को कहा।

इस पर राधा जी ने कहा इस तिथि में राधा कुंड में जो भी स्नान करे उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो। इस पर श्री कृष्ण ने राधा जी को यह वरदान दे दिया।

महारास वाले दिन कार्तिक मास की अष्टमी (अहोई अष्टमी ) थी। तभी से इस विशेष तिथि पर पुत्र प्राप्ति को लेकर दंपति राधाकुंड में स्नान कर राधा जी से आशीर्वाद मांगते हैं।

कार्तिक मास की अष्टमी (अहोई अष्टमी ) को राधा कुंड में हजारों दंपति स्नान कर पुत्र रत्न प्राप्ति की कामना करते हैं ।

ऐसी मान्यता है कि अष्टमी (अहोई अष्टमी )के दिन राधा कुंड में स्नान करने वाली सुहागिनों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

इसके चलते यहां अर्ध रात्रि में स्नान किया जाता है इसलिए आज राधाकुंड पर देश से नहीं अपितु विदेश भी श्रद्धालु आते हैं।

मान्यता है कि कार्तिक मास की अष्टमी अहोई अष्टमी को वे दंपति जिन्हें पुत्र प्राप्ति नहीं हुई है वे निर्जला व्रत रखते हैं और रात्रि को पुष्य नक्षत्र में रात्रि 12 बजे से राधा कुंड में स्नान करते हैं।

इसके बाद सुहागिनें अपने केश खोलकर रखती हैं और राधा की भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त कर पुत्र रत्न प्राप्ति की आस करती हैं ।

इस दौरान आए हुए दंपत्ति स्नान करने के बाद एक फल (ज्यादातर पेठा फल ) राधा कुंड में चढ़ाते हैं और फल (पुत्र रत्न) की आस करते हैं ।

ऐसा माना जाता है कि राधा जी और भगवान कृष्ण रात्रि 12 बजे तक राधाकुंड में महारास करते हैं। इसके बाद पुष्य नक्षत्र शुरू होते ही वहां स्नान कर फल चढ़ाने वाले दंपति को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

अहोई अष्टमी को राधा कुंड पर अत्यधिक संख्या में देश विदेश के लोग स्नान हेतु आते हैं , जिनके बच्चे नहीं हुए वे फल की आस में स्नान कर फल चढ़ाने आते हैं ।

और जिनको आशीर्वाद प्राप्त हो चुका है वे फिर से स्नान कर अपनी आस्था अनुसार उनकी लंबी उम्र की कामना हेतु आते हैं । कुछ तो अपने पुत्र को साथ लेकर इस दिन राधा कुंड स्नान के लिए यहाँ आते हैं ।

[caption id="attachment_1148" align="alignnone" width="300"] Radha kund[/caption]

अहोई अष्टमी को स्नान सारी रात्रि जारी रहता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु राधे राधे का नाम जपते हुए भक्ति में लीन नजर आते हैं ।

बोल श्री राधे कृष्ण , जय श्री राधे

कैसे पहुंचें :


राधा कुण्ड उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले  के गोवर्धन में है अतः यहाँ पहुँचने के लिए सबसे आसान है कि पहले मथुरा पहुंचें जहाँ से गोवर्धन जाने के लिए निरंतर बस सेवा उपलब्ध है ।

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