क्या सही है विरोध के नाम पर तोड़फोड़ ?



बिहार (Bihar) में संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के तहत राज्यव्यापी बंद का आह्वाहन राष्ट्रीय जनता दल (RJD) द्वारा किया गया ।

प्रस्तावित बंद के दौरान कार्यकर्ता गुंडों की तरह रोड पर आए और जमकर आम जन की गाड़ियों में तोड़फोड़ की । हिंसक प्रदर्शन के बाद मीडिया में कई वीडियो वायरल हुई हैं ।

कार्यकर्ताओं ने नागरिक संशोधन कानून (Citizenship Act) और एनआरसी (National Register of Citizens) के विरोध में बुलाए बंद के दौरान वाहनों में तोड़-फोड़ की झंडे उनके हाथ मे थे और गाड़ियों को रोककर शीशे तोड़ रहे थे ।

एएनआई द्वारा जारी वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि राजद कार्यकर्ता वाहनों पर लाठियां बरसा रहे हैं। इसके अलावा राजद के हजारों समर्थकों ने शनिवार को रेल और सड़क यातायात बाधित कर दिया।

बिहार की राजधानी पटना में पार्टी के सैकड़ों समर्थक लाठियां और पार्टी के झंडे लेकर रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों में घुस गए जिन्हें पुलिसकर्मियों ने बल पूर्वक खदेड़ दिया ।

सड़क पर पहिए जलाए जिससे वाहनों का आवागमन बाधित हुआ , राज्य के सभी जिलों में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ।

सोचने वाली बात ये है कि चुनाव के समय यही पार्टियां आम जन के सामने हाथ जोड़कर वोट माँगते घूमती हैं और आज आमजन को ही सरेआम परेशान कर रही हैं ।

सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ आमजन की गाड़ियों को अत्यधिक नुकसान पहुंचाया गया है । आम लोगों को अत्यधिक परेशान किया जा रहा है ।

ये कैसा विरोध और किसके लिए विरोध ? एक तरफ तो आमजन की लड़ाई बताकर विरोध जता रहे हैं और दूसरी ओर आमजन को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं ।

क्या इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन अच्छी बात है ? अपना कॉमेंट अवश्य दें

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