समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस


दिल्ली-लाहौर समझौता एक्सप्रेस भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली ट्रेन में 18 फरवरी 2007 को पानीपत के चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन  के नजदीक दो बम विस्फोट हुए , जिसमें 68 लोग मारे गए थे और 12 घायल हुए । उनमें ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे ।





धमाके से ट्रेन के 2 जनरल कोच में आग लग गई, बाद में जांच के दौरान घटनास्थल से पुलिस को दो ऐसे सूटकेस बम मिले जो फटे नहीं थे ।





बम धमाके के बाद प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के 'स्केच' जारी किए, हरियाणा सरकार ने मामले की एसआईटी  जांच कराने का ऐलान किया ।





इंदौर से दो संदिग्ध लोगों को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया, समझौता धमाकों के सिलसिले में यह पहली गिरफ्तारी थी ।





धमाके के 3 साल बाद 2010 में केस को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया ।





राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 26 जून 2011 को स्वामी असीमानंद समेत 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की ।





चार्जशीट में स्वामी असीमानंद के अलावा सुनील जोशी, संदीप डांगे, रामचंद्र कालसंग्रा और लोकेश शर्मा शामिल थे । इसमें सुनील जोशी की 2007 में मध्य प्रदेश के देवास में हत्या कर दी गई।





जांच के दौरान 290 प्रत्यक्षदर्शियों को शामिल किया गया, इसमें कई पाकिस्तानी शामिल नहीं हुए ।





2014 में समझौता ब्लास्ट केस के मुख्य अभियुक्त स्वामी असीमानंद को जमानत मिल गई, कोर्ट में एनआईए असीमानंद के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई।





अब मार्च 2019 में समझौता ब्लास्ट केस में सभी चार आरोपियों असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया ।





पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 4 आरोपियों को बरी कर दिया है ।





पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने पाकिस्तान की महिला राहिला वकील की याचिका को खारिज करते हुए सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया ।





मामले में कुल 8 आरोपी थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और तीन को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है ।





हादसे में 43 पाकिस्तानी, 10 भारतीय और 15 अन्य लोग मारे गए।  मारे गए कुल 68 लोगों में  4 रेलवे के अधिकारी शामिल थे ।





कौन हैं स्वामी असीमानंद





स्वामी असीमानंद का असली नाम नबकुमार सरकार है उनका जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हुआ






1977 में वो RSS के प्रचारक बने,  गुरु स्वामी परमानंद ने उनका नाम स्वामी असीमानंद रखा ।
असीमानंद अंडमान निकोबार में वनवास आश्रम की देख रेख में रहे उन्होंने  गुजरात के आदिवासियों के लिए कल्याण का काम भी  किया, उन्होंने सबरी मंदिर बनवाया ।


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